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Les abonnés auront jusqu’à la fin de la journée le 15 juillet pour faire demande pour des CD. Le CAÉB cessera la production et l’envoi de CD à compter du jeudi 31 juillet.
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Articles 1 à 5 sur 5
Par Sandra Moore. 2020
क्या आप केटॉइस दर्ज करने की योजना बना रहे हैं और आप इसे कैसे जानते हैं? तो यह किताब आप…
के लिए है केटोजेनिक आहार का पालन करने के लिए आपके कारण चाहे जो भी हों, शुरू करना इतना आसान नहीं है जितना आप सोच सकते हैं। किटोजेनिक आहार स्वास्थ्य और वजन घटाने के लिए सबसे लोकप्रिय आहार में से एक के रूप में उभर रहा है। स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के लिए किसी भी अन्य आहार के समान जबरदस्त लाभ नहीं हैं, जिनमें कैंसर से लेकर मोटापा और अल्जाइमर रोग टाइप 2 डायबिटीज-एथलेटिक प्रदर्शन पर इसके सकारात्मक प्रभावों का उल्लेख नहीं है। केटोसिस एसेंशियल एक शुरुआती गाइड है जो किटोजेनिक आहार पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है और यह आपके शरीर को वसा जलाने वाली मशीन में बदल देता है। दृष्टिकोण वैज्ञानिक अनुसंधान की विस्तृत श्रृंखला पर आधारित है, जो कि केटोसिस पर आयोजित किया गया है, और लेखक नमध्यकालीन भारत राजनीति, समाज और संस्कृति यह पुस्तक इतिहास के काल का वर्णन प्रस्तुत करती है, प्रस्तुत पुस्तक में विस्तार…
से इन अंतरों का पता लगाने की कोशिश किए बगैर आठवीं सदी से सत्रहवीं सदी की समाप्ति तक भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के अभ्युदय के अध्ययन का प्रयास किया गया है । इन सभी पहलुओं को एक खंड में समायोजित करना कठिन काम था । इस कार्य के पीछे ध्येय यह रहा है कि पिछले चार दशकों में इतिहासकारों द्वारा मध्यकालीन भारतीय इतिहास को एक नई दिशा देने के प्रयासों को एक जगह लाने से इसके प्रति आम लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी । साथ ही, मध्यकालीन भारत में राज्य की प्रकृति, लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और उस अवधि में आर्थिक विकास की प्रवृत्ति को लेकर हाल में उठे विवादों को सही परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकेगा । इस पुस्तक में यह दर्शाया गया है कि बड़े साम्राज्यों के अभ्युदय और फिर छोटे खंडों में विभाजन और एकीकरण का मतलब हमेशा आर्थिक निष्क्रियता और सांस्कृतिक ह्रास ही नहीं रहा है, भारतीय इतिहास के मध्यकाल की तुलना अकसर तुर्क और मुगल शासनकाल से की जाती है जिसका अर्थ है सामाजिक कारकों की जगह राजनीतिक कारकों को प्राथमिकता देना । यह अवधारणा इस मान्यता पर भी आधारित है कि पिछली कई सदियों के दौरान भारतीय समाज में बहुत थोड़ा बदलाव आया है । इतिहासकारों ने भारत में जनजातीय समाज के क्षेत्रीय राज्यों में तब्दील होने का मूल्यांकन किया है ।Par Kuldip Nayar. 1978
‘इन सबकी शुरुआत उड़ीसा में 1972 में हुए उप-चुनाव से हुई। लाखों रुपए खर्च कर नंदिनी को राज्य की विधानसभा…
के लिए चुना गया था। गांधीवादी जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने उठाया। उन्होंने बचाव में कहा कि कांग्रेस के पास इतने भी पैसे नहीं कि वह पार्टी दफ्तर चला सके। जब उन्हें सही जवाब नहीं मिला, तब वे इस मुद्दे को देश के बीच ले गए। एक के बाद दूसरी घटना होती चली गई और जे.पी. ने ऐलान किया कि अब जंग जनता और सरकार के बीच है। जनता—जो सरकार से जवाबदेही चाहती थी और सरकार—जो बेदाग निकलने की इच्छुक नहीं थी।’ ख्यातिप्राप्त लेखक कुलदीप नैयर इमरजेंसी के पीछे की सच्ची कहानी बता रहे हैं। क्यों घोषित हुई इमरजेंसी और इसका मतलब क्या था, यह आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि तब प्रेरणा की शक्ति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मिली थी और आज भी सबकी जबान पर भ्रष्टाचार का ही मुद्दा है। एक नई प्रस्तावना के साथ लेखक वर्तमान पाठकों को एक बार फिर तथ्य, मिथ्या और सत्य के साथ आसानी से समझ आनेवाली विश्लेषणात्मक शैली में परिचित करा रहे हैं। वह अनकही यातनाओं और मुख्य अधिकारियों के साथ ही उनके काम करने के तरीके से परदा उठाते हैं। भारत के लोकतंत्र में 19 महीने छाई रही अमावस पर रहस्योद्घाटन करनेवाली एक ऐसी पुस्तक, जिसे अवश्य पढ़ना चाहिए।Par केनेथ ब्राउन. 2020
क्या आप असुविधा, सूजन, और दर्द को खत्म करने में सक्षम होना चाहेंगे? हमारी आंत में लगभग 80% प्रतिरक्षा प्रणाली…
निवास करती है, आज की कई बीमारियां खराब आंत के स्वास्थ्य का परिणाम हैं। आपको आंत को साफ करने से वजन घटाने, सूजन, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली, ऊर्जा के स्तर, ध्यान, समग्र खुशी, और बहुत कुछ में मदद मिलेगी! दशकों से परीक्षण की गई रणनीतियों के साथ, यह ईबुक आपको अपनी आंत को साफ करने का सबसे तेज़ और सबसे प्रभावी तरीका दिखाएगा! आप सीखेंगे कि कुछ सप्ताह के समय में अपनी भलाई को कैसे बढ़ाया जाए। केवल इतना ही नहीं, बल्कि आप अपने जीवन के हर एक पहलू में सुधार करेंगे। यह जानना चाहते हैं कि अत्यधिक वजन वाले व्यक्ति, पुरानी बीमारियाँ, मानसिक कोहरे, और दर्द ने किस तरह से प्राकृतिक रूप से वृद्धि की और अपनी बीमारियों को मिटा दिया? आप भी इसे प्राप्त करने के रहस्यों को जान सकते है�Par Majid Husain. 2007
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) द्वारा तैयार किये गये स्नातक (graduate) तथा स्नात्कोत्तर (post-graduate) पाठ्यक्रमों (syllabus) में भी संसार…
के महाद्वीपों तथा देशों के भूगोल को कोई स्थान नहीं दिया गया है। इसके विपरीत, संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की प्रारंभिक (prelims) परीक्षा के पाठ्यक्रम में संसार तथा प्रत्येक महाद्वीप के मुख्य देशों के भूगोल का विशेष स्थान है जिसके लिये लगभग 30 प्रतिशत अंक रखे गये हैं। भारत के विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में भी कुछ ऐसी ही स्थिति हैं। इन प्रारंभिक परीक्षाओं में उम्मीदवारों (candidates) की सामर्थ्यता की बारीकी के साथ परीक्षण के लिये प्रायोगिक (application), विश्लेषणात्मक (analytical), संलिष्ठ (synthetic) तथा तुलनात्मक (comparison) प्रकार के प्रश्न भूगोल के विद्वानों द्वारा तैयार किये जाते हैं। इस प्रकार के जटिल प्रश्नों का सविश्वास क्रमबद्ध सही उत्तर देने के लिये संसार के विभिन्न देशों के भूगोल का गहन अध्ययन अत्यावश्यक है। यह केवल एक संयोग है कि संसार के भूगोल पर अभी तक एक भी पुस्तक ऐसी नहीं लिखी गई जिसमें संसार के सभी महाद्वीपों, प्रदेशों तथा देशों की भौतिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं पर क्रमबद्ध तथा सुव्यवस्थित चर्चा की गई हो, जिससे कि विद्यार्थियों तथा प्रशासनिक परीक्षा के उम्मीदवारों की समस्याओं का समाधान निकल सके। इस पृष्ठभूमि में प्रस्तुत पुस्तक की योजना 1999 में तैयार की गई थी ताकि प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले विद्यार्थियों की समस्याओं का किसी सीमा तक निवारण हो सके।